योगेश कुमार गोयल
भारत जैसे विकासशील देशों में धूम्रपान का बढ़ता प्रचलन और इससे होने वाले खतरे जिस गति से बढ़ रहे हैं, वे चिंता का विषय हैं। चिंताजनक स्थिति यह है कि देश में धूम्रपान करने वालों में महिलाओं तथा अल्प आयु के बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। जहां पश्चिमी देशों में धूम्रपान की लत घट रही है, वहीं भारत में तमाम प्रयासों के बावजूद युवाओं में यह लत पांव पसार रही है। अधिकांश युवा शौक और दिखावे के रूप में इसकी शुरूआत करते हैं, तो कुछ युवा चंद क्षणों के लिए अपनी दिमागी परेशानियों से राहत पाने के लिए धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं और कुछ ही दिनों में यह उनकी आदत में शुमार हो जाता है। देश में धूम्रपान के बढ़ते चलन का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत तंबाकू उत्पादन के मामले में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है और विश्व में धूम्रपान करने वालों की सबसे बड़ी तादाद चीन के बाद भारत में ही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में धूम्रपान के कारण प्रतिदिन करीब ग्यारह हजार व्यक्ति अर्थात हर साल चालीस लाख लोग काल का ग्रास बन रहे हैं, जिनमें से करीब एक तिहाई लोगों की मौत केवल भारत में ही होती है। देश में हर साल करीब तेरह लाख से भी ज्यादा मौतें तंबाकू जनित कैंसर, दमा, हृदय रोग जैसी विभिन्न बीमारियों के कारण होती हैं। प्रतिवर्ष धूम्रपान के मौत रूपी धुएं में ही अरबों-खरबों रुपए स्वाहा कर दिए जाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनियाभर में रोजाना एक अरब से ज्यादा लोग धूम्रपान करते हैं, जिनमें भारत में ही धूम्रपान करने वालों का आंकड़ा ग्यारह फीसद से ज्यादा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में दस करोड़ से अधिक लोग धूम्रपान करते हैं, जबकि तीन करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने के साथ-साथ तंबाकू भी चबाते हैं। धूम्रपान करने वालों द्वारा सालभर में सात हजार करोड़ से ज्यादा सिगरेटें फूंक दी जाती हैं। हर साल फूंकी जाने वाली इन्हीं सिगरेटों के धुएं से वातावरण भी कितना प्रदूषित होता है, इसका अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि इस खतरनाक धुएं से करीब पचास टन तांबा, पंद्रह टन शीशा, ग्यारह टन कैडमियम और कई अन्य खतरनाक रसायन वातावरण में घुलते हैं।
भारत में प्रतिदिन धूम्रपान से मरने वालों की संख्या सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मुकाबले बीस गुना है, जबकि एड्स से देश में जितनी मौतें दस वर्ष में होती हैं, उतनी मौतें धूम्रपान की वजह से मात्र एक सप्ताह में हो जाती हैं। देश में प्रतिदिन तीन हजार से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु तंबाकू जनित बीमारियों के कारण होती है। इनमें दस फीसद व्यक्ति ऐसे होते हैं जो स्वयं तो धूम्रपान नहीं करते, लेकिन धूम्रपान करने वालों के निकट होते हैं।
भारत में तंबाकू का सेवन करने वालों का सर्वेक्षण करने वाली संस्था- टोबेको इंस्टीच्यूट आॅफ इंडिया के अनुसार भारत में निम्न तथा मध्यमवर्गीय तबके में बीड़ी पीने का चलन ज्यादा है। ऐसा अनुमान है कि देश में प्रतिवर्ष सौ अरब रुपए मूल्य से भी अधिक की बीड़ियों का सेवन किया जाता है। अगर धूम्रपान की वजह से देश पर पड़ते आर्थिक बोझ की बात करें तो इसकी वजह से भारत को प्रतिवर्ष छब्बीस अरब डॉलर का बोझ उठाना पड़ता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण बोर्ड के मुताबिक तंबाकू के उपयोग के कारण वर्ष 2011 में देश में पैंतीस से उनहत्तर वर्ष आयु के लोगों पर करीब 24.4 अरब डॉलर अर्थात् एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च हुए था।
धूम्रपान से सेहत को खतरे और पैसे के नुकसान के बारे में इतना सब जानते-बूझते भी हम इसे छोड़ नहीं पाते हैं, तो चिंता की बात है। सिगरेट के पैकेट पर इसके खतरे से जुड़ी वैधानिक चेतावनी लिखी होती है, इसके अलावा हर सार्वजनिक वाहन में भी ह्यनो स्मोकिंगह्ण अथवा ह्यधूम्रपान निषेध हैह्ण निर्देश अंकित रहता है। लेकिन इन चेतावनियों या निदेर्शों का कहीं कोई असर होता दिखाई नहीं देता। धूम्रपान के संबंध में लोगों के दिमाग में कई तरह की गलत धारणाएं विद्यमान हैं।
मसलन, अधिकांश लोग इस तथ्य से भले ही भली-भांति परिचित होते हैं कि धूम्रपान उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके परिजनों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है, लेकिन फिर भी लोग शरीर में चुस्ती-फुर्ती लाने, मानसिक तनाव कम करने, मूड बनाने, मन शांत करने जैसे बहानों की आड़ लेकर इसका सेवन करते हैं। हालांकि बीते वर्षों में तमाम शोधों और अध्ययनों से यह प्रमाणित किया जा चुका है कि ये सब धारणाएं पूर्ण रूप से निरर्थक हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक कह रहे हैं कि धूम्रपान करने से ऐसा कुछ नहीं होता, बल्कि इस लत से शरीर में सैंकड़ों किस्म की घातक बीमारियां जन्म लेती हैं।
वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर करें तो धूम्रपान में निकोटीन की अधिकता के कारण सारे अनुकंपी तंत्रिकातंत्र उत्तेजित हो जाते हैं और हृदय गति तेज हो जाती है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ यह मस्तिष्क और स्नायु तंत्र पर भी प्रहार करता है, जिससे मनुष्य की मनोस्थिति और व्यवहार पर असर पड़ने लगता है। धूम्रपान में निकोटीन के अलावा कार्बन मोनोक्साइड भी प्रमुख जहर है। इस जहर से रक्त में प्राप्त हीमोग्लोबीन कार्बोक्सी हीमोग्लोबीन में परिवर्तित हो जाता है और आक्सीजन का दबाव कम हो जाता है। परिणाम यह होता है कि रक्त पहुंचाने वाली धमनियों के लगातार तेज होने से सीने में दर्द होने लगता है।
सिगरेट के धुएं में लगभग चार हजार विषैले रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर पर तरह-तरह से दुष्प्रभाव डालते हैं। धूम्रपान से हृदय रोग, लकवा, कई प्रकार का कैंसर, मोतियाबिंद, नपुंसकता, बांझपन, पेट का अल्सर, एसीडिटी, दमा, भ्रमित होने जैसे घातक रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर भी पहुंचे हैं कि आधुनिक समय में नपुंसकता जैसी समस्या के लिए धूम्रपान एवं शराब सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति काफी हद तक जिम्मेदार है।
धूम्रपान से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है, निद्रा और एकाग्रता में कमी आती है, मन अशांत रहता है और गुर्दे खराब हो जाते हैं। प्रत्येक सिगरेट का सेवन मनुष्य की आयु करीब पांच मिनट कम कर देता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि दिन में लगातार दो पैकेट सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों की उम्र करीब आठ वर्ष कम हो जाती है, जबकि कम सिगरेट पीने वाले व्यक्ति भी अपनी उम्र के चार वर्ष घटा लेते हैं।
बीड़ी-सिगरेट पीने वालों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना धूम्रपान न करने वालों की अपेक्षा तीन-चार गुना अधिक होती है। सार्वजनिक स्थलों के अलावा बंद कमरे में धूम्रपान करना तो धूम्रपान न करने वालों के लिए भी बेहद खतरनाक सिद्ध होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि जिन बच्चों के माता-पिता बीड़ी-सिगरेट के आदी होते हैं, उन बच्चों में निमोनिया, ब्रोंकाइटिस जैसी सांस, गले और छाती की बीमारियां लगना एक आम बात है।
बहरहाल, धूम्रपान के उपरोक्त खतरों को देखते हुए अब अच्छी तरह समझ आ जाना चाहिए कि आप बीड़ी-सिगरेट को पी रहे हैं या बीड़ी-सिगरेट आपको? धूम्रपान के इतने घातक दुष्प्रभावों को देखने और समझने के बाद अब फैसला आपके हाथ है कि अपने साथ-साथ अपने परिवार की जिंदगी भी आप इसी धुएं में उड़ाना पसंद करेंगे या धूम्रपान से तौबा कर अपने व अपने परिवार के लिए उत्तम स्वास्थ्य चुनना पसंद करेंगे?
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, टेलीग्राम पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App। में रुचि है तो
सबसे ज्यादा पढ़ी गई