सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है। कहते हैं भोलेनाथ को सावन को महीना बेहद प्रिय होता है। इस महीने का वोदों में विषेश महत्व भी बताया गया है। सावन मास को शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस महाने में शिव आराधना करने से मनुश्य को सभी संकट और कष्टों से छुटकारा मिलता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि सावन के महीने में शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने से शिवभक्त की सभी मनकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
माता पार्वती ने किया था कठोर तप
सावन का महीना भगवान शिव को इतना पसंद क्यों है इस बात का शास्त्रों में वर्णन का गया है। इश शास्त्रों के अनुसार सनतकुमारों ने एक बार भोलेनाथ से उनके सावन मास के प्रिय होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के घर योगशक्ति के द्वारा अपनी देह को त्याग दिया था उस समय उस समय उन्होंने भोलेनाथ को ही प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने के प्रण किया था।
ऐसा भी माना जाता है कि ये वही महीना है जब भोलेनाथ धर्ती पर अवतरित होकर अपने ससुराल आए थे। ससुराल में उनका जलाभिषेक के साथ भव्य स्वागत किया गया था। इसलिए पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन में भोलेनाथ हर साल ससुराल आते हैं और धरतीवासी उनका जलाभिषेक और विभिन्न तरीकों से भव्य स्वागत करते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकंडेय को सावन मास में भगवान शिव की तपस्या करने से लंबी उम्र का वरदान मिला था इसलिए इस मास में शिव पूजा की जाती है।
सावन के महीने में ही महादेव ने अमृत मंथन से निकले विष को भी पीया था, वो विष काफी तेज और असरकारक था। महादेव ने इस कालकूट नाम के विष को अपने गले में रख लिया था। मंथन में निकले इस विष को महादेव ने सावन के महीने में पीया था इसलिए विष की गरमी को शांत करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है।