
जोंक मरीज के शरीर में कई अन्य पेस्टीसाइड छोड़ती है, जो गैंगरीन से ग्रसित अंगों में ब्लड सर्कुलेशन शुरू कर देता है.
भारत (India) में प्राचीन समय से ही जोंक थेरेपी से इलाज (Treatment) किया जाता रहा है. खून से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए जोंक से चुसवाया जाता है.
जोंक थेरेपी से कई फायदे
माय उपचार में प्रकाशित आर्टिकल के मुताबिक इस थेरेपी से दाद, हर्पीस और एक्जिमा जैसे त्वचा संबंधी रोंगों का उपचार किया जाता है. दरअसल, जोंक की लार में एक खास तरह का एजेंट पाया जाता है, जो स्किन की दिक्कतों को दूर करने में मददगार होता है. हालांकि उन लोगों को इस थेरेपी को कराने से बचना चाहिए जिन्हें जोंक की लार से एलर्जी हो.
जोंक थेरेपी से शरीर के अंदर के अंगों में आने वाली सूजन में आराम मिलता है. इससे पाचन अंगों में आई सूजन को दूर करने में काफी मददगार होती है.जोंक का उपयोग कुछ खास मर्जों में किया जाता है. जोंक थेरेपी कराने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. इसमें जोंक की लार से सूजन में आराम मिलता है. जोंक की लार में ब्लड प्रेशर को कम करने वाला तत्व भी होता है.
जोंक थेरेपी मृत ऊतकों को हटाने में उपयोगी होती है. दरअसल, ये मृत ऊतक ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों में पाए जाते हैं. ऐसे मरीजों को डॉक्टर इन्हें हटवाने की सलाह देते हैं.
जब जोंक थेरेपी की जाती है तो उस दौरान जोंक पेप्टाइड नाम के तत्व का स्राव करती है. यह तत्व रक्त संचरण तंत्र में खून के थक्के को हटा देता है.
इस तरह की जाती है थेरेपी
जोंक थेरेपी के विशेषज्ञ यह निर्धारित करते हैं कि जोंक को शरीर के किस भाग पर छोड़ा जाए. यह शरीर के एक निश्चित भाग पर छोड़ी जाती है. इसके बाद यह त्वचा को काट कर खून चूसना शुरू कर देती है. जब यह अपना काम पूरा कर लेती है तो इन्हें तम्बाकू की मदद से शरीर से हटा दिया जाता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)