लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधान परिषद (UP Legislative Council elections) की 12 सीटों के लिए 28 जनवरी को चुनाव होना है. इनमें से 10 सीटें तो बिना किसी लागलपेट के भाजपा की झोली में चली जाएगी. एक सीट समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की भी पक्की है, लेकिन सपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि अगर सभापति रमेश यादव को आगे भी सभापति बनाए रखना है तो उनको विधान परिषद भेजना होगा. वहीं अहमद हसन को नेता प्रतिपक्ष बनाए रखना है तो उनके नाम की लॉटरी लगेगी. 12 सीटों में से सपा सिर्फ 1 सीट पर ही अपने कैंडिडेट को जीता सकती है.
ऐसे में समाजवादी पार्टी किसको तवज्जो देगी. जिन 12 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से अभी 6 सीटें सपा के पास हैं. अब उसे केवल एक विधायक मिल सकता है. तो फिर जाहिर है कि बाकी पांच का पत्ता साफ होगा.
जिसमें सबसे महत्वपूर्ण विधान परिषद के सभापति रमेश यादव और नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का है. नामांकन का दौर शुरू हो गया है. इंतजार है कि राजनीतिक पार्टियों का पत्ता खोलने का. 18 जनवरी नामांकन का अंतिम दिन है. नामांकन पत्रों की जांच 19 जनवरी को व नाम वापसी की अंतिम तारीख 21 जनवरी है.
दरअसल विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन सहित परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को समाप्त हो रहा है. बसपा के पूर्व सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सीट भी शामिल है.
विधानसभा में सपा का हाल
सपा के 49 विधायक हैं. इसकी एक सीट पक्की है. एक सीट जीतने के बाद भी पार्टी के पास कुछ सरप्लस वोट बचेंगे, लेकिन भाजपा की तरह ये इतने नहीं होंगे कि दूसरे उम्मीदवार को जिताया जा सके. ऐसे में भाजपा की तरह सपा को भी कुछ और वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा. लड़ाई इन्हीं जिताऊ वोटों की खिंचतान के लिए होगी.