लखनऊ. विधानपरिषद (Legislative Assembly) की 12 सीटों के लिए अब चुनाव लगभग तय माना जा रहा है. 12 सीटों के लिए 13 उम्मीदवारों ने पर्चा भर दिया है. वैसे तो भाजपा (BJP) और सपा (SP) की ओर से जितने लोगों ने नामांकम किया है, उससे तो चुनाव की नौबत ही नहीं आती. क्योंकि 12 सीटों के लिए सभी निर्विरोध निर्वाचित हो जाते लेकिन, अब मामला उलझ गया है.
निर्दलीय उम्मीदवार (Independent candidate) महेशचंद्र शर्मा ने पर्चा दाखिल करके राजनीतिक जोड़-घटाव, गुणा-भाग करने की नौबत खड़ी कर दी है. हालांकि 21 जनवरी की शाम तक और तस्वीर साफ हो जाएगी. दरअसल उस दिन नाम वापसी की आखिरी तारीख है.
इस 13वें उम्मीदवार महेश चंद्र शर्मा की वजह से पार्टियों को अपने-अपने वोट अब सहेजने पड़ेंगे. निर्दलीय उम्मीदवार का कोई वोट तो है नहीं. ऐसे में दूसरी पार्टियों के विधायकों पर ही उसकी जीत टिकी हुई है. भाजपा को तो कोई गम नहीं है, क्योंकि उसने उतने ही विधायक खड़े किए हैं जितने जिता सकती है. लेकिन, सपा को पसीना आ रहा होगा. सपा के पास एक विधायक बना सकने लायक वोट हैं, लेकिन उसने दो खड़े कर दिए हैं. उसका दूसरा विधायक भी जीत जाता बशर्ते निर्दलीय मैदान में न आता. लेकिन अब सपा के दूसरे कैंडिडेट की जीत पर सस्पेंस बन गया है. आइए जानते हैं कि परिषद में किस पार्टी की क्या हैसियत है और निर्दलीय उम्मीदवार की जीत आखिर होगी तो कैसे और किसके दम पर.
भाजपा का गणित
विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक, भाजपा के 310 विधायक हैं. उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के 9 विधायक हैं. कांग्रेस MLA अदिति सिंह, राकेश सिंह और बसपा के अनिल सिंह भाजपा के साथ दिखते रहे हैं. रालोद के इकलौते विधायक रहे सहेंद्र सिंह रमाला भाजपा के पाले में आ सकते हैं. इसके अलावा यदि तीन निर्दलीय और बसपा के 11 विधायकों ने भी भाजपा का साथ दिया तो पार्टी का संख्या बल पहुंच जाएगा 337. अब 10 विधायकों को 31-31 वोट दिलाकर जिताने के बाद भाजपा के पास 27 वोट बचेंगे.
सपा का कैलकुलेशन
अब सपा पर नजर दौड़ा लेते हैं. विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक सपा के 49 विधायक हैं. बसपा से निकाले गए सात में से सातों यदि सपा के साथ आ जाएं तो इसकी संख्या हो जाएगी 56. लेकिन शिवपाल यादव, हरिओम यादव और नितिन अग्रवाल पार्टी से दूर हैं. ऐसे में सपा का एक्चुअल स्ट्रेंग्थ है 53. एक विधायक को 31 वोट दिलाने के बाद पार्टी के पास 22 वोट बचेंगे. दूसरी तरफ ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4 और कांग्रेस के 5 विधायक भी हैं. यदि भाजपा निर्दलीय कैंडिडेट शर्मा को मौन समर्थन दे दे और उसके विधायक इन्हें वोट कर दें तो गेम पलट जाएगा. निर्दलीय के नाम पर कुछ दूसरे विधायक भी वोट कर सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो सपा का सिर्फ एक ही विधायक जीत पाएगा.
हालांकि 28 जनवरी से पहले पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि राजनीति पल-पल बदलती रहती है. 28 जनवरी को ही वोटिंग और काउंटिंग है. न्यूज़ 18 ने कुछ दिन पहले ही 12वीं सीट पर किसी निर्दलीय की लॉटरी लगने की जानकारी दी थी. अब ऐसा होता दिख रहा है.