अयोध्या. डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Rammanohar Lohia Avadh University-RMLAU) में वर्ष 2005 में श्रीराम शोध पीठ की स्थापना की गई थी। शोध पीठ के मुताबिक श्री राम शोध पीठ मे देश की बड़ी लाइब्रेरी स्थापित करने जा रहा है।
भगवान श्री राम और रामायण पर शोध करने के लिए अवध यूनिवर्सिटी में स्थापित श्री राम शोध पीठ में प्रभु राम से जुड़े प्राचीन ग्रंथों विभिन्न भाषाओं की रामायण, पांडुलिपियों का डॉ0 संग्रह पुस्तकालय में कर रहा है। श्रीराम शोध पीठ में शोधार्थी छात्र भगवान श्रीराम पर शोध कर PHD की डिग्री हासिल कर रहे हैं। अयोध्या में पर्यटकों की संख्या भी कई गुना बढ़ गई हैं। ऐसे में पर्यटन विकास के साथ-साथ भगवान श्रीराम पर शोध कार्य को भी लेकर कई योजनाएं बनाई जा रही हैं।
शोध छात्रों की मदद के लिए की जा रही कवायद
डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Rammanohar Lohia Avadh University-RMLAU) में वर्ष 2005 में श्रीराम शोध पीठ की स्थापना की गई थी। शोध पीठ के कोआर्डिनेटर डा अजय प्रताप सिंह के मुताबिक श्री राम शोध पीठ मे देश की बड़ी लाइब्रेरी स्थापित करने जा रहा है।
इस लाइब्रेरी में भगवान श्रीराम से संबंधित सभी भाषाओं की पुस्तकें और विभिन्न भाषाओं की रामायण संकलित की जाएगी। जिन्हें शोध करने वाले छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे छात्र भगवान राम के आदर्शों , जीवन चरित्रों पर सही ढंग से अध्ययन कर सकें।
प्रभु राम पर आधारित देश का पहला शोध पीठ
डॉ0 सिंह का कहना है कि यह देश का पहला शोध पीठ है जो डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Rammanohar Lohia Avadh University-RMLAU) में स्थापित किया गया है। साथ में उत्तर प्रदेश में जिस भी काल के अभी तक सिक्के मिले है उनका संग्रह करके एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा।
जहां अयोध्या आने वाले पर्यटक इस म्यूजियम को और भगवान राम की लाइब्रेरी को देख सकेंगे। प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह का कहना है कि उनकी इच्छा है कि श्रीराम शोध पीठ में भगवान श्रीराम का एक मंदिर भी स्थापित किया जाए। हालांकि अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रीराम शोध पीठ को किसी भी तरीके की आर्थिक सहयोग नहीं प्रदान किया है।