धर्म डेस्क. ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है। गुरू को ज्ञान, उच्च पद, व्यापार, सफलता और सौभाग्य का कारक माना जाता है। गुरू को सभी ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का गोचर एक राशि में 13 महीने तक रहता है। गुरू 5 अप्रैल की मध्यरात्रि मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। वह इस राशि में 15 सितंबर तक रहेंगे। गुरु के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
12 राशियों के लिए असर
मेष:- सुख, धन आगमन होगा
वृषभ:- अज्ञात भय, धन सामान्य
मिथुन:- लाभ, प्रतिष्ठा वृध्दि
कर्क:- कलह, विवाद की स्थिती
सिंह:- व्यापार वृद्धि, प्राप्तियां अच्छी
कन्या:- रोग , शत्रु वृध्दि
तुला:- हर्ष, सुख प्राप्ति
वृश्चिक:- धन हानि, कष्ट
धनु:- चिंता, व्यय
मकर:- धन लाभ, सम्मान
कुंभ:- शारीरिक कष्ट, पीड़ा
मीन: व्यय , कष्ट
लेकिन यदि जन्म कुंडली में गुरू शुभ स्थान में और बलवान हो तो अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
उपाय-
-आचरण सात्विक रखें
– देवता, गुरू, संत, ब्राम्हण का सत्कार करें, उनका निरादर न करें
– हर गुरूवार कुछ पीली वस्तु का दान किसी मंदिर में अथवा ब्राम्हण को करें
– एकाक्षरी मंत्र: बृं बृहस्पतये नमः की माला प्रतिदिन या गुरूवार को जपें
– किसी अच्छे ज्योतिषी से कुंडली परीक्षण करा कर पुखराज पहनें