वर्ल्ड डेस्क. म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। वहीं प्रदर्शनकारियों पर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब सेना की ओर से उन पर फायरिंग शुरू कर दी गयी। बताया जा रहा है, रविवार को तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सेना ने अलग-अलग स्थानों पर गोलियां बरसाईं, जिसमें 38 लोगों की मौत होने की खबर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यंगून इलाके के हैंगथाया में प्रदर्शनकारियों ने एक चीनी फैक्टरी को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद सेना ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई। वहीं, अन्य जगहों पर प्रदर्शन कर रहे 16 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान एक पुलिसकर्मी के भी मारे जाने की भी है।
अब तक 125 से ज्यादा लोगों की जान गई
म्यांमार के एक संगठन के मुताबिक अभी तक के प्रदर्शन में मारे गए लोगों का आंकड़ा 125 के पार पहुंच चुका है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, क्योंकि अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जहां शव पड़े हुए हैं। शनिवार तक 2,150 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
सेना की ओर से चलाए जाने वाले टीवी चैनल ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने इलाके की 4 गारमेंट और फर्टिलाइजर फैक्टरी में आग लगा दी थी। इसके बाद मौके पर फायर ब्रिगेड को रवाना किया गया। प्रदर्शन कर रहे करीब 2,000 लोग फायर ब्रिगेड को रोकने का प्रयास कर रहे थे। हालात बेकाबू होने के बाद सेना को फायरिंग करनी पड़ी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत ने निंदा की
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा कि म्यांमार में हत्या, प्रदर्शनकारियों के साथ बर्बरता और यातनाओं की खबरें लगातार मिल रही हैं। इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की जरूरत है। हम उन क्षेत्रीय नेताओं और सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं, जो म्यांमार के हालात को सुधारने के प्रयास में लगे हुए हैं।
एक फरवरी को किया तख्तापलट
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में सेना ने एक फरवरी की आधी रात तख्तापलट कर दिया था। वहां की लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं।