लाइफस्टाइल डेस्क. Women’s Day Special: महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं और खुद ही अपना मुकाम तय कर रही हैं। धीरे- धीरे ही सही लेकिन महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है। और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ही हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है,। इस दिन को मनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह हैं कि महिलाओं का सम्मान किया जा सके, महिलाओं को उनके हक दिलाए जा सके। महिलाओं को बताया जा सके कि उन्हें भी इस समाज में बराबरी का हक मिल सकता है। वहीं, बात जब हक की आती है, तो महिलाएं अपने हक की लड़ाईयां तो सदियों से लड़ती आ रही हैं। तो चलिए आपको भारत की पांच सबसे शक्तिशाली महिलाओं के बारे में बताते हैं, जिन्होंने इतिहास पूरी तरह बदल दिया। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में…
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Jhansi Ki Rani Laxmibai)
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Jhansi Ki Rani Laxmibai) का जन्म 19 नवंबर 1935 को वाराणसी में हुआ था। उनका वास्ताविक नाम मणिकार्णिका था। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐसा संग्राम छेढ़ा था कि अंग्रेज भी उनकी वीरता देखकर हैरान रह गए थे। उन्होंने आखिरी दम तक अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी जंग जारी रखी। देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया। अंग्रेजों से लोहा लेते हुए महज 23 साल की उम्र में ही लक्ष्मीबाई ने अपने प्राणों की आहुति दे दी और आज भी उनके इस बलिदान के लिए पूरा देश उन्हें याद करता है।
सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)
13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) एक कवयित्री थी और बंगला में लिखती थी। महज 14 साल की उम्र में ही उन्होंने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था। भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए उन्होंने भारतीय महिलाओं को जागृत किया। जलियांवाला बाग हत्याकांड से क्षुब्ध होकर उन्होंने 1908 में मिला ‘कैसर-ए-हिन्द’ सम्मान लौटा दिया था। वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपान भी बनीं।
इंदिरा गांधी (Indira Gandhi)
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का जन्म 19 नवंबर 1917 को एक प्रतिष्टित परिवार में हुआ था और वे बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं। वहीं, बचपन में इंदिरा गांधी ने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया। सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में उन्होंने महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया। वे अगस्त 1964 से लेकर फरवरी 1967 तक राज्य सभा और फिर चौथे, पांचवें और छठे सत्र में लोकसभा की सदस्य रह थीं। इसके बाद वो लगातार आगे बढती गई।
कल्पना चावला (Kalpana Chawla)
आज भी देश की बेटी कल्पना चावला (Kalpana Chawla) पर गर्व करता है। घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कल्पना ने चांद तक सफर तय किया था। कल्पना चावला (Kalpana Chawla) अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली दूसरी भारतीय महिला थीं। महज 35 साल की उम्र में उन्होंने पृथ्वी की 252 परीक्रमाएं लगाकर देश ही नहीं बल्कि दुनिया को भी हैरान कर दिया था। उन्होंने छह अंतरिक्ष यात्रियों साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। अपने पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय करते हुए करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे। वहीं, जब 1 फरवरी 2003 को वो धरती पर लौट रही थी, लेकिन तभी खबर आई कि इस यान का संपर्क टूट गया है। इसके बाद कल्पना चावला (Kalpana Chawla) की मौत की खबर ही आई।
मदर टेरेसा (Mother Teresa)
एक ऐसी महिला जिसने हमेशा शांति का प्रचार किया। कोलकाता में रहकर एक आश्रम में उन्होंने बेसहारा लोगों की मदद की, उनकी चिकित्सा की। एक बार जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आपकी भारत को लेकर क्या राय है? इस पर मदर टेरेसा ने कहा कि मैं सभी धर्म के लोगों से प्रेम करती हूं। मदर टेरेसा (Mother Teresa) को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार भी प्रदान किया गया। उन्होंने बिना किसी इच्छा भाव के हमेशा लोगों की सेवा की और उनके दुखों को हमेशा ही अपना माना।